Friday, March 2, 2012

सिवराज देखिये...सिवराज देखिये...सिवराज देखिये...सिवराज देखिये...

सक्र जिमि सैल पर | अर्क तम-फैल पर | बिघन की रैल पर | लंबोदर देखिये...|

राम दसकंध पर | भीम जरासंध पर | भूषण ज्यो सिंधु पर | कुंभज विसेखिये...|

हर ज्यो अनंग पर | गरुड ज्यो भुजंग पर | कौरव के अंग पर |पारथ ज्यो पेखिये...|

बाज ज्यो विहंग पर | सिंह ज्यो मतंग पर |म्लेंच्छ चतुरंग पर | सिवराज देखिये...|

सिवराज देखिये...सिवराज देखिये...सिवराज देखिये...सिवराज देखिये...

-कविराज भूषण

भाषांतर

ज्याप्रमाणे इंद्र पर्वताचा, सूर्य अंधाराचा, आणि श्रीगणेश सर्व विघ्नांचा नाश करतात,

किंवा, ज्याप्रमाणे श्रीरामाने रावणाचा, भीमाने जरासंधाचा नाश केला,

अगस्ती ॠषींनी सागर एका आचमनात प्यायला,

ज्याप्रमाणे, महादेवाने मदनास जाळले, अर्जुनाने कौरवांस मारले,

किंवा, जसे साप गरुडास पाहून, पक्षी ससाण्यास पाहून आणि हत्ती सिंहास पाहून गर्भगळीत होतात,

त्याचप्रमाणे, म्लेंच्छांची चतुरंग सेना शिवरायांच्या पराक्रमाने भयभीत होते!

-कविराज भूषण

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